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Ectopic pregnancy

Ectopic pregnancy

प्रेगनेंसी की खबर दंपतियों को खुशी देती है। लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि ये तो एक्टोपिक प्रेग्नेंसी यानि अस्थानिक गर्भावस्था है तो वे निराश हो जाते है। महिला के शरीर में एग फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब में होती है । लेकिन एक्टोपिक प्रेगनेंसी के अधिकतर मामलों में निषेचन यानि फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण गर्भाशय में विकसित होने के बजाय ट्यूब में ही विकसित होने लगता है। जिससे प्रेगनेंसी को खतरा तो होता ही है और साथ ही महिला को भी समस्या हो सकती है। इस आर्टिकल में हम एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण, कारण, जांच और निदान के बारे में जानकारी देंगे

Ectopic pregnancy

प्रेगनेंसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद कई महिलाओं को ये पता नहीं होता है कि उनको एक्टोपिक प्रेगनेंसी हुई है। महिलाओं में प्रेगनेंसी की शुरूआत फैलोपियन ट्यूब में शुक्राणु और अण्डे के मिलन से शुरू होती है। ट्यूब में एग के फर्टिलाईजेषन के बाद भ्रूण गर्भाशय में जाने की बजाय बाहर कहीं विकसित होने लगता है। इस तरह की प्रेग्नेंसी को एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है। इसे ट्यूबल प्रेगनेंसी भी कहा जाता हैं। कुछ मामलों में यह प्रेगनेंसी ओवरी यानिकि अंडाशय, पेट या सरविक्स में भी हो सकती है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजीशियन की मानें तो एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी 50 में से एक महिला में होती है। दुनियाभर में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के केस बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। फिलहाल 1 से 2 प्रतिशत मामलों में ही यह समस्या आती है। भारत में भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी के केश कम ही आते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता कितने दिन में चलता है?

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में शुरूआत में अधिकतर महिलाओं को पता नहीं चलता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में लगभग 6 सप्ताह की प्रेगनेंसी में पता चल सकता है, क्योंकि महिलाओं को पीरियड न आने के दो सप्ताह में इसके लक्षण महसूस होने लगते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के कारण

एप्टोपिक प्रेग्नेंसी के कुछ मुख्य कारण हो सकता है, निम्न हो सकते हैं-

  1. एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांमिटेड डिजिज) – कई मामलों में महिलाओं को एप्टोपिक प्रेग्नेंसी यौन संचारित रोगों यानि एसटीडी के कारण भी हो सकती है। एसटीडी अधिकतर केशेस में असुरक्षित यौन संबंधों के माध्यम से एक शरीर से दूसरे शरीर में फैलते है।
  2. फैलोपियन ट्यूब में किसी तरह का विकार – महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब में किसी तरह का विकार होना या उसका क्षतिग्रस्त होना भी एप्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण बन सकता है। क्योंकि ये फर्टिलाइज्ड एग को गर्भाशय में जाने में अवरोध डालता है। जिस कारण फर्टिलाइज्ड एग या तो ट्यूब में या कहीं और विकसित होने लगता है।
  3. फैलोपियन ट्यूब में इंफेक्शन – किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब में अगर संक्रमण या सूजन है तो यह अंडे को गर्भाशय में जाने नहीं देती है। जिस कारण आपको एप्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है।
  4. पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजिज – ये महिलाओं के विभिन्न प्रजनन अंगों में होती है, जिनमें अंडाशय, पैल्विस शामिल है। इन अंगों में किसी तरह का संक्रमण होने पर महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है।
  5. पूर्व में एक्टोपिक प्रेगनेंसी – किसी महिला को अगर पहले भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो चुकी है तो उसे फिर से एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना हो सकती है।
  6. पेल्विक सर्जरी – अगर किसी महिला की पैल्विक सर्जरी हुई है और उसकी पैल्विस यानिकि श्रोणि में घाव रह गए हैं तो। इससे भी इंफेक्शन का खतरा रहता है। जिस वजह से एप्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है।
  7. धूम्रपान – फेमिली प्लानिंग से पहले कुछ महिलाएं अधिक धूम्रपान करती है तो धूम्रपान का असर उनकी प्रेगनेंसी पर पड़ सकता है । इस वजह से उनको एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण क्या होते हैं?

आमतौर पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बारे में महिलाओं को पता नहीं चल पाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण सामान्य गर्भावस्था के लक्षणों जैसे ही है इसलिए इसमें अंतर कर पाना महिलाओं को मुश्किल होता है। इन लक्षणों में पीरियड का न आना, स्तन मे दर्द होना, जी का मचलना आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा एक्टोपिक प्रेगनेंसी के और भी लक्षण हो सकते हैं-

  1. वेजाइना से ब्लीडिंग होना- एक्टोपिक प्रेगनेंसी का एक लक्षण ये भी है कि योनि से रक्तस्त्राव होना।
  2. श्रोणी यानि पैल्विक एरिया में दर्द होना – प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी शुरूआती दिनों में महिलाओं को पैल्विक में असहनीय दर्द होना एक्टोपिक प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है।
  3. पेट में ऐंठन होना – आमतौर पर प्रेगनेंसी के दिनों में पेट में ऐंठन होना सामान्य माना जाता है लेकिन अगर अधिक ऐंठन हो रही हो तो आपको डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए क्योंकि ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है।
  4. चक्कर आना या कमजोरी – गर्भघारण होने के बाद महिलाओं को चक्कर आना या कमजोरी का महसूस होना नोर्मल है लेकिन ये एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण भी हो सकता है। इसलिए तुरन्त ही अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का निदान

सबसे पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि महिला प्रेगनेंट है या नहीं । प्रेगनेंसी की जांच करने के लिए डॉक्टर महिला का ब्लड सैंपल लेकर शरीर में प्रेगनेंसी हार्मोन यानी ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (बीटा एचसीजी) के लेवल की जांच करते हैं। जब प्रेगनेंसी कन्फर्म हो जाती है, उसके बाद एक्टोपिक प्रेगनेंसी की जांच की जा सकती है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा नजर आने पर प्रेगनेंट महिला का अल्ट्रासाउण्ड करवाया जाता है और महिला के पैल्विक एरिया की जांच की जाती है। जांच में ये देखा जाता है कि फर्टिलाइज्ड एग कहां है। अल्ट्रासाउंड में एक्टोपिक प्रेगनेंसी नजर आने पर डॉक्टर आगे का उपचार निर्देशित करते हैं।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज

एक्टोपिक प्रेगनेंसी प्रभावित महिलाओं का उपचार संभव है। हालांकि उपचार विकल्प का चयन महिला की शारीरिक स्थिति को देखकर ही किया जा सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने पर कोई भी कदम उठाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज समय रहते करवाना चाहिए । नही तो भ्रूण और महिला दोनों को नुकसान हो सकता है। इसके इलाज के लिए सर्जरी और दवाओं दोनों का सहारा लिया जा सकता है जोकी इस प्रकार हैं –

  1. दवा के जरिये एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज – दवा के माध्यम से महिला के शरीर मे एचसीजी हार्मोन के लेवल की जांच की जाती है। हार्मोन का लेवल अधिक होने पर उसको मिथोट्रेक्सेट का इंजेक्शन डॉक्टर लगाने की सलाह देते हैं। फैलोपियन ट्यूब के ऊतकों को नष्ट करने के लिए ये इंजेक्शन दिये जाते हैं। इसके बाद फिर एचसीजी हार्मोन का टेस्ट किया जाता है। अगर फिर से प्रेगनेंसी हार्मोन पाया जाता है तो डॉक्टर फिर से इंजेक्शन दे सकते है। इंजेक्शन का असर खत्म होने के बाद लगभग तीन महीनों के बाद फिर से प्रेगनेंसी के लिए ट्राई करने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
  2. सर्जरी से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का इलाज – जब एक्टोपिक प्रेगनेंसी के मामले गंभीर हो जाते हैं तो इस स्थिति में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का सहारा लिया जाता है। सर्जरी से फैलोपियन ट्यूब के टीष्यु को हटा दिया जाता है। इस सर्जरी से ठीक होने में महिला को एक से डेढ महीने का समय लग सकता है।

अगर किसी मामले में महिला को एक्टोपिक प्रेगनेंसी में अधिक रक्रस्राव होता है या फिर फैलोपियन ट्यूब को ज्यादा नुकसान होता है तो डॉक्टर तुरंत सर्जरी लैप्रोटोमी कर सकते हैं। आमतौर पर यह सर्जरी गंभीर स्थिति में ही की जाती है। ट्यूब क्षतिग्रस्त होने पर उसको निकाल दिया जाता है।

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