fbpx

What is IVF process in hindi

what is ivf process in hindi

आईवीएफ (IVF), यानिकि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, आज के समय मे काफी लोकप्रिय है। संतान का सुख पाने की चाहत रखने वाले अधिकांश लोग इसे अपना रहे हैं। अगर आप किसी भी कारण के चलते गर्भधारण करने में असमर्थ हैं, तो ऐसे में आपके लिए आईवीएफ एक अच्छा विकल्प है। अगर आप आईवीएफ की प्रक्रिया के बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

What is IVF

आईवीएफ (IVF) का फुल फॉर्म इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है। यह एक प्रचिलित फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (fertility treatment) हैं। इसका उपयोग बांझपन से पीड़ित लोगों के उपचार के लिए किया जाता हैं।

आईवीएफ का सहारा तब लिया जाता है, जब महिला का शरीर अंडों को निषेचित करने में असफल रहता है। इसमे महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फ्यूज किया जाता है। जिससे भ्रूण का निर्माण होता हैं। भूर्ण के निर्माण के बाद इसको महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता हैं।

आईवीएफ की प्रक्रिया क्या है?(IVF Process in Hindi)

आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले, डॉक्टर द्वारा सलाह ली जाती है कि आप इसके लिए फिट हैं या नहीं। जिसमे डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री व आपके स्वास्थ्य से संबंधित आदि जानकारी के बाद आपको बता सकते हैं कि आपको आईवीएफ (IVF) करवाना चाहिए या फिर नहीं।

आईवीएफ की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। जिसमे ये सभी शामिल हैं ओवेरियन स्टिमुलेशन, ओवरी से अंडे निकालना, पुरुष का शुक्राण लेना, अंडे का फर्टिलाइजेशन और महिला गर्भ में स्थानांतरित करना।

ओवेरियन स्टिमुलेशन (Ovarian stimulation)

डिम्बग्रंथि उत्तेजना (Ovarian stimulation) एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में शामिल किया जाता है। इसमे दवाओं का इस्तेमाल होता है। जिससे अंडाशय में कई अंडे पैदा होते हैं। ये अंडे फिर इकट्ठा किये जाते हैं और फिर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए इनका इस्तेमाल होता हैं। इसका मकसद इनफर्टाइल कपल्स को प्रेग्नेंसी में मदद करना है।

ओवरी से अंडे निकालना (Egg removal from ovary)

ओवरी से अंडे निकालने का प्रोसेस महिला के ओवुलेशन प्रोसेस के 34 से 36 घंटे बाद शुरू किया जाता है। यह प्रोसेस होस्पिटल में भी किया जाता है। इस दौरान महिला को बेहोश किया जाता है। फिर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (TVS) की मदद से महिला की वैजाइना में एक बहुत ही पतली सुई डालकर अंडे को निकाला जाता है। जो अंडे स्वस्थ और परिपक्व होते हैं उनको स्पर्म से मिलाया जाता है।

स्पर्म लेना (Sperm Collection)

इसमे पुरुष का स्पर्म लिया जाता है। आईवीएफ प्रोसेस के लिए स्पर्म को स्पर्म फ्लूड से अलग कर देते है।

फर्टिलाइजेशन (Fertilization)

अंडा लेने और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद, डॉक्टर महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को मिलाकर फर्टिलाइजेशन के लिए लैब में रख देते हैं।

भ्रूण स्थानांतरण (Embryo transfer)

जब भ्रूण लैब में तैयार हो जाता है, फिर भ्रूण (एंब्रियो) को गर्भाशय में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया को एंब्रियो ट्रांसफर कहते हैं। आमतौर पर यह प्रोसेस दर्दरहित होता है, लेकिन इस प्रक्रिया में थोड़ी बहुत दर्द या ऐंठन हो सकती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर केथेटर से भ्रूण को महिला के गर्भाशय में रखते हैं।

आईवीएफ के बाद बरते ये सावधानियां (Precautions After IVF Pregnancy)

आईवीएफ गर्भधारण में महिला को सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। खासकर गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीनों में, विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जैसेकि-

दवाइयां समय पर लें

आईवीएफ गर्भधारण में शुरुआत के तीन महीनों तक डॉक्टर महिला को प्रोजेस्टेरोन समेत अन्य कई दवाइयां देते हैं। यह दवाइयां आपकी गर्भावस्था को सुचारू रूप से जारी रखने में हेल्प करती हैं, इसलिए इन दवाओं को मिस न करें।

इन दवाओं के सेवन से चक्कर आना और उल्टी की शिकायत हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

संतुलित आहार लें

गर्भावस्था के दौरान महिला को आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, विटामिन डी, डीएचए और आयोडीन सहित कई अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसलिए आप अपनी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करें जिसमें ये सभी पोषक तत्व पाए जाते हों। डॉक्टर की सलाह से आप डायटरी सप्लीमेंट्स का भी सेवन कर सकते हैं।

आईवीएफ गर्भावस्था में शुरूआती 3 महीनों में महिला को उल्टी और जी मिचलाना जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए आप तले-भुने पदार्थ, और बाहर का खाने से परहेज करें। आपके लिए बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से डाइट चार्ट बनवा लें। उसके अनुसार डाइट लें। आर्टिफीसियल स्वीटनर कम से कम सेवन करें।

एक्सरसाइज करें

हल्की एक्सरसाइज भी आपको करते रखना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है जिससे बाद में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। एक्सरसाइज करने से आपका वजन नियंत्रित रहेगा। एक्सरसाइज करने से आप फिट तो रहेंगे ही और साथ ही डिप्रेशन और चिंता से भी मुक्ति मिलेगी।

स्ट्रेस को दूर रखें

गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस (तनाव) लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इससे आपको हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी प्रीक्लेम्पिया (preeclampsia) हो सकती है। अगर आपका ब्लड प्रेशर लगातार हाई ही रहता है तो इससे आपके बच्चे का वजन भिवप्रभावित होगा । इससे समय से पूर्व जन्म की संभावना बढ़ती है, जोकी खतरनाक है।

सामान्य दिनचर्या का पालन करें

आईवीएफ गर्भावस्था के बाद आपको शुरूआती 3 या 6 महीने तक अपनी सामान्य दिनचर्या का पालन करना है। सामान्य कार्य जैसे सीढ़ियाँ चढ़ना, खाना बनाना, समेत अन्य सामान्य कार्य कर सकती हैं।

शराब, कैफीन और ड्रग्स के सेवन से बचें-

शराब, कैफीन, सिगरेट ये सभी गर्भावस्था को प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करने से मिसकैरेज, समय से पहले डिलीवरी या डिलीवरी के दौरान जटिलताओं की संभावना भी बढ़ जाती है। यह आपके बच्चे में शारीरिक या मानसिक या दोष भी उत्पन्न कर सकता है। इसलिए गर्भावस्था में चाय काफी का अधिक सेवन न करें। सिगरेट और शराब का सेवन तुरन्त ही बंद कर दें।

समय- समय पर डॉक्टर से जांच कराएं

आईवीएफ के बाद सफल डिलीवरी के लिए गर्भस्थ शिशु और महिला का स्वस्थ होना जरूरी है। इसलिए इन दिनों में डॉक्टर द्वारा निर्देशित समय के अनुसार हॉस्पिटल जाकर अपने गर्भावस्था की जांच जरूर कराएं।

यदि आप बरेली में आईवीएफ उपचार का विकल्प चुनने पर विचार कर रहे हैं, तो आप बरेली के टॉप इनफर्टिलिटी व आईवीएफ स्पेसलिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर शबीना खान का चयन कर सकते हैं। जोकि सनराइज आईवीएफ सेंटर बरेली में अपनी सेवाएं दे रही हैं। निःशुल्क अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए आप 8630268144 पर कॉल करें।

Leave a Reply